शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022

ओ ज्योतिर्मय....!



 गहरी उदासी को लिखना खिलखिलाहट.....

उज्जाड़ बंजर को पुकारना हरीतिमा....

सूखे सावन में गुनगुनाना बारिश....

गहरी डगमगहाट को दिखाना ध्रुवतारा....

भूख को कहना रोटी....

जगराते को नींद...

मृत्यु में रचना जीवन...

पतझड़ को पहना देना वसंत...

शोर को बनाना संगीत....

नफरत को करना प्यार...

और जब कुछ भी न बचे उम्मीद भर

गहरी निराशा पर भरना उजली उड़ान...

न रहे कोई जब साथ...

उत्सवमय रखना एकांत

किरणों के माथे जब झूमे मद्धिम अंधियाला

उज्ज्वल श्वासों में भरना आकाश...

रुकना मत...

बदले में देते रहना उच्छ्वास....


अनुजा

कविता विहान में प्रकाशित

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