मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

ग़ज़ल

तू नहीं तो तेरा ख्‍़याल सही
दिल को थोड़ा तो हो मलाल सही।

उसको जिसकी तलाश थी कब से
है तू ही तो वो बेमिसाल नहीं।

इतने बरसों कहां रहा वो गुम
पूछना है उसे सवाल यही।

कैसे ढूंढेगा वो पता मेरा
देखना है मुझे कमाल यही।

तड़पने दो ज़रा उसे भी कभी
वो भी जाने मेरा जमाल सही ।

तुझको अपनी ख़बर नहीं है ग़र
मुझको भी है मेरा ख्‍़याल नहीं।

जो न लफ़्जों में सिमट पाएगा
आसमां पर उड़ा गुलाल वही।

अनुजा
29.12.1996


3 टिप्‍पणियां:

  1. अनुजा जी ,..वाह!!!बहुत शानदार गजल,बेहतरीन रचना ,.....उम्दा पोस्ट

    मेरी नई रचना के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे

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  2. श‍ुक्रिया धीरेन्‍द्र जी..। जरूर। काव्‍यांजलि को देखती हूं..;।

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  3. vaah vaah ....aasmaan me uda gulal vahi.........bas yahi andaj ,yahi tewar to hame bhate hain.

    bahut khoob....

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