विचारयुक्त ज्ञात से विचारशून्य अज्ञात की ओर...
निशान रह जाते हैं....
दी...मुझे लगता है की कुछ लम्हें..कुछ लोग ...कहीं दिल के किसी कोने में ठहर जाते हैं ..ताउम्र..वैसे ही रहते हैं ..वहीँ रहते हैं...समय का उनपे...उनपे समय का कोई असर नहीं होता
यकीनन निधि...।
दी...मुझे लगता है की कुछ लम्हें..कुछ लोग ...कहीं दिल के किसी कोने में ठहर जाते हैं ..ताउम्र..वैसे ही रहते हैं ..वहीँ रहते हैं...समय का उनपे...उनपे समय का कोई असर नहीं होता
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