नींव के पत्थर हैं हम.... !
हक़ नहीं है हमें
बुर्ज की सुन्दरता में शामिल होने का....!
मंजि़लों की राजनीति में कहीं भी फिट नहीं होते हैं
हम से कुरूप बदनुमां पत्थर...
जो
नींव की मज़बूती के लिए
खामोशी से स्वीकार करते हैं
मृत्यु का अंधकार......!
अनुजा
19.09.96
हक़ नहीं है हमें
बुर्ज की सुन्दरता में शामिल होने का....!
मंजि़लों की राजनीति में कहीं भी फिट नहीं होते हैं
हम से कुरूप बदनुमां पत्थर...
जो
नींव की मज़बूती के लिए
खामोशी से स्वीकार करते हैं
मृत्यु का अंधकार......!
अनुजा
19.09.96
रामवृक्ष बेनीपुरी के लिखे निबंध की याद दिला दी आपने...दी .
जवाब देंहटाएंवो निबंध मुझे अक्सर याद आता है और उसमें नींव की ईंट और कंगूरे में बताया गया अंतर भी कहीं न कहीं इसकी प्रेरणा है....।
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