सोमवार, 7 नवंबर 2011

क्लिक आर.सुन्‍दर की


निशान रह जाते हैं....

आहटें रह जाती हैं....

अंदेशे रह जाते हैं....

उम्मीदें रह जाती हैं...

अपनी तमाम निराशाओं के साथ....

समय और लोग तो गुज़र ही जाते हैं....

अपनी रफ्तार के साथ.......।

अनुजा

2 टिप्‍पणियां:

  1. दी...मुझे लगता है की कुछ लम्हें..कुछ लोग ...कहीं दिल के किसी कोने में ठहर जाते हैं ..ताउम्र..वैसे ही रहते हैं ..वहीँ रहते हैं...समय का उनपे...उनपे समय का कोई असर नहीं होता

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