सितारे हों बुलन्दी पर अक्सर यूं भी होता है
लगी हो आग जब तब भी शरारे बात करते हैं।।
हो उनकी बात का मौसम कि उनकी आंख का जादू
हमारा क्या अगर हंसकर इशारे बात करते हैं ।।
उफ़क की लाल आंखें हों कि शब का सांवला आंचल
कोर्इ हो वक़्त लेकिन ये नज़ारे बात करते हैं।।
हो मौजों की रवानी या भंवर की एक सरगोशी
निकल कर झील से फिर ये शिकारे बात करते हैं।।
लकीरें साथ गर देदें तो साहिल साथ चलता है
घिरा हो लाख तूफां पर किनारे बात करते हैं।।
अनुजा
अनुजा
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