अग्निगर्भाअमृता
विचारयुक्त ज्ञात से विचारशून्य अज्ञात की ओर...
तुम्हारे बाद....
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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2013
तुम्हारे बाद... 3
इस सड़क पर
इस नीम के नीचे.....
अपनी पीली उजास के साथ
तुम्हारे इन्तज़ार में.....
अब कभी इधर नहीं देखती मैं....
न पीली उजास है
न तुम्हारा इंतजार....
बस केवल वह नीम इकलौता अपने साथ....
केवल अपने साथ
समेटे अपनी पत्तियों में कर्इ इंतजारों का इतिहास
मोहब्बतों का गवाह.....!
अनुजा
08.10.07
तुम्हारे बाद...2
शाम
आज फिर उदास हो गयी है......
तुम्हारे
जाने के बाद सन्नाटे ने समेट लिया है
अपनी बाहों में मुझे......!
27.05.06
अनुजा
तुम्हारे बाद.....1
आसमान
बहुत रो रहा है इस बार
बेमौसम....
तुम खो जो गए
मिलकर....
दहाड़ती है कभी कभी
पीड़ा
उसकी छाती में.....!
अनुजा
21.03.05
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