मुहाफि़ज़ आ रहे हैं, रास्ते वीरान हो जाएं
कुछ इस्तक़बाल के उनके सरो-सामान हो जाएं।।
वो आशिक़ हैं हमारे ही औ पर्दा भी हमीं से है
ये हसरत है कि अब घर बे दर-ओ-दीवार हो जाएँ।।
दोस्तों से यही बस गिला रह गया
अजनबी सा कोई आश्ना रह गया।।
सब बिछुड़ते गए ख़्वाहिशों की तरह
राह में हमसफर रास्ता रह गया।।
अनुजा
सब बिछुड़ते गए ख़्वाहिशों की तरह
जवाब देंहटाएंराह में हमसफर रास्ता रह गया।।....बहुत खूब!!
अंतिम सत्य भी शायद यही है निधि।
जवाब देंहटाएंकेवल तुम ही पढ़ती हो शायद और कोई नहीं...।