जिनको दीमक चाट चुकी है क्यों पलटूं अब वो तस्वीरें ।
जिनका कोई ख़्वाब नहीं है लाऊं कहां से वो ताबीरें।।
लाल दुपट्टा नीला कुर्ता मोती वाली लंबी माला।
उसके जाते ही लोगों ने बांटी उसकी सब जागीरें।।
जो थे उसको जान से प्यारे जिन पर नाम लिखा था उसका ।
उनके काम न आयीं कुछ तो फेंकी सारी वो तहरीरें।।
अब तो कोई कै़द नहीं है अब आज़ाद फि़जां में घूमो
खुद अपने हाथों से उसने तोड़ी थीं सारी जंजीरें।।
अब कैसे चुप हो बैठा है जाने क्या मौसम आया है ।
खामोशी में ही डूबी हैं उसकी सारी वो तकरीरें।।
अनुजा
1997
जिनका कोई ख़्वाब नहीं है लाऊं कहां से वो ताबीरें।।
लाल दुपट्टा नीला कुर्ता मोती वाली लंबी माला।
उसके जाते ही लोगों ने बांटी उसकी सब जागीरें।।
जो थे उसको जान से प्यारे जिन पर नाम लिखा था उसका ।
उनके काम न आयीं कुछ तो फेंकी सारी वो तहरीरें।।
अब तो कोई कै़द नहीं है अब आज़ाद फि़जां में घूमो
खुद अपने हाथों से उसने तोड़ी थीं सारी जंजीरें।।
अब कैसे चुप हो बैठा है जाने क्या मौसम आया है ।
खामोशी में ही डूबी हैं उसकी सारी वो तकरीरें।।
अनुजा
1997
’लाल दुपट्टा,नीला कुर्ता....’कितने अपनापे के धरातल पर लाखड़ा किया तुमने.तुम्हारा बात कहने का अंदाज...बहुत खूब.
जवाब देंहटाएंनमिता
शुक्रिया भाभी....।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
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