अग्निगर्भाअमृता
विचारयुक्त ज्ञात से विचारशून्य अज्ञात की ओर...
गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013
तुम्हारे बाद.....1
आसमान
बहुत रो रहा है इस बार
बेमौसम....
तुम खो जो गए
मिलकर....
दहाड़ती है कभी कभी
पीड़ा
उसकी छाती में.....!
अनुजा
21.03.05
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