सदियों का सफ़र तय करके
धरती अब भी है
अपने उसी बिन्दु पर....
जहां
ताप शाप रस के लिए
ताकना पड़ता है
उसे
आसमान का मुहं....
अनुजा
03.05.1998
धरती अब भी है
अपने उसी बिन्दु पर....
जहां
ताप शाप रस के लिए
ताकना पड़ता है
उसे
आसमान का मुहं....
अनुजा
03.05.1998
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