जब कुछ नहीं होता
तो बहुत कुछ होता है
हथेलियों में.....
ख्वाहिशें....
सपने....
उम्मीदें....
आसरे....
यक़ीन...
मेरा-तुम्हारा....
यादें....
तुम और मैं....
एक कप चाय
के बीच
बहती गुफ्तगुएं.....
लंबी यात्राएं.....
बादलों के बीच खोते रास्ते.....
एक रूमानी निश्चिन्तता.....
हवाओं के झोंके....
सूखे पत्तों से भरे रास्ते...
नीला शामियाना....
सुर्ख़ पीला सफेद बल्ब
उजियाली सुबहें
सर्द सफेद रातें....
सन्नाटे जंगल....
पैरों की थाप....
टहनी पर अटकी कलियां
दानों पर गिरती चिडि़या....
एक खामोशी.....
कुल आवाज़ें.....
जि़न्दगी से बात
सारी उजास....
उदासी की शाम...
आवारगी की रात.....
भोर की बात.....
मौजों के साहिल....
शफ्फाक झरने....
एक मौज
एक साहिल.....
एक चांद और ढेर से सितारे.....
बहुत कुछ होता है...
जब कुछ नहीं होता
हथेलियों में.....।
अनुजा
14.09.13
14.09.13
फोटो:आर.सुन्दर(c)
इस पोस्ट की चर्चा, बृहस्पतिवार, दिनांक :-24/10/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" चर्चा अंक -33 पर.
जवाब देंहटाएंआप भी पधारें, सादर ....
सुपर्ब
जवाब देंहटाएंइतना सब कुछ होते हुए भी कभी कभी कुछ नहीं होता ... सूना पण स रह जाता है ...
जवाब देंहटाएंहां, ऐसा भी होता है.......पर सूनापन भी सूना नहीं होता....उसमें भी सूनापन होता है..... पर कुछ होता जरूर है.....उसे महसूसना और जानना क
हटाएंभी कभी मुश्किल होता है....।
कल 25/10/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत खूब ...सुंदर भावाभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएं“अजेय-असीम{Unlimited Potential}”
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंआप सभी का शुक्रिया....।
जवाब देंहटाएंखुबसूरत अभिवयक्ति......
जवाब देंहटाएंधन्यवाद्....।
जवाब देंहटाएंसचमुच जब कुछ नही होता तब भी बहुत कुछ होता है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशा जी...आपका आना हमेशा ही अच्छा लगता है....आभार...उपस्थिति बनाये रखने के लिए....
हटाएं