जब
खुद को भगतसिंह
का अनुयायी मानने वाले
सोने लगें
पलकों की छांव में....
छुपने लगें
ज़ुल्फों के घेरे में....
ढूंढने लगें
मोहब्बत की गोद.....
तब
सही ही है भगत
तुम्हें सिर्फ एक
याद
करार देना
और
तुम्हें भूल जाना.....
याद न करना
23 मार्च के .......!
अनुजा
Friday, April 1, 2011
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें