भारत माता की जय
कि
अब भी
इस रात जब क्रिकेट वर्ल्ड कप की जीत में दीवाली मनाई जा रही है
न जाने कितने कोनों में कितने बच्चे भूखे ही सो रहे हैं
कितनी औरतें अपनी अस्मत का सौदा कर रही हैं
न जाने कितने बूढ़े पानी के लिए खुदकुशी कर रहे है
कितनी बेटियों का बचपन ब्याहा जा रहा है
कितने मजदूर इस चिंता में जाग रहे हैं
कि
कल काम मिलेगा या नहीं
हम वर्ल्ड कप की ,खुशियों की इन्तहा देख रहे हैं
सड़कें सन्नाटी रही हैं
दफ्तरों में काम काज ठप है
दुकानें खामोश हैं
पटाखे चिल्ला रहे हैं
क्लाइमेट चेंज पर हंस रहे हैं
हम वर्ल्ड कप को इंज्वॉय कर रहे हैं
आप
मुझे सैडिस्ट कह सकते हैं
......!
अनुजा
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