वक़्त का ये कुसूर है यारों
मुझको भी अब सुरूर है यारों ।
मैं ही उस पर फिदा नहीं हूं बस
वो भी कुछ कुछ ज़रूर है यारों।
यूं ख़ताओं को माफ़ उसने किया
तख़्त पर बेक़ुसूर है यारों ।
उसका बिस्तर बिछाओ आंख लगे
वो बहुत थक के चूर है यारों ।
मैं समझता था कट गया है सफ़र
घर मगर अब भी दूर है यारों ।
जबकि शीशों पे बाल आए हैं
तुमको किस पर ग़ुरूर है यारों।
जानता है समझ रहा है सब
वो नशे में ज़रूर है यारों ।
अनुजा
30.11.1996
मुझको भी अब सुरूर है यारों ।
मैं ही उस पर फिदा नहीं हूं बस
वो भी कुछ कुछ ज़रूर है यारों।
यूं ख़ताओं को माफ़ उसने किया
तख़्त पर बेक़ुसूर है यारों ।
उसका बिस्तर बिछाओ आंख लगे
वो बहुत थक के चूर है यारों ।
मैं समझता था कट गया है सफ़र
घर मगर अब भी दूर है यारों ।
जबकि शीशों पे बाल आए हैं
तुमको किस पर ग़ुरूर है यारों।
जानता है समझ रहा है सब
वो नशे में ज़रूर है यारों ।
अनुजा
30.11.1996
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