मंगलवार, 10 फ़रवरी 2015

कुछ तो बताओ मुझे मेरे बारे में.....

जी चाहता है जानने को....
खोते-खोते अपने आपको...
अब
कुछ अपना आप रह ही नहीं गया है....

कुछ तुम
कुछ वह
कुछ सब
कुछ दुनिया
कुछ ग़मे रोज़गार....
कुछ प्रेम प्‍यार.. .
कुछ मौसम की मार...
समय की तक़रार...
कुछ, सब कुछ बेकार....


बस
इतना ही रह गया है....

मैं
खो गयी हूं....

कोई तो हो...
जो ढूंढ लाए मुझे....

कोई तो हो
जो मुझसे मिलाए मुझे....

कोई तो हो....
कोई तो...!!!!!!!


अनुजा

10.02.15

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