छोड़ना मत तुम उम्मीद...
एक दिन
बादल का एक छोर पकड़कर
वासन्ती फूलों की महक में लिपट...
धरती गायेगी
वसन्त का गीत....
सब दु:ख...
सारे भय...
सब आतंक...
सारी असफलताएं ......
सारा आक्रोश
पिघलकर बह जाएगा
सूरज के सोने के साथ....
ओढ़ लेंगी सब दिशाएं
गुलाबी बादलों की चूनर....
मौसम गायेगा
रंग के गीत....
और
तुम्हारे सर पर होगा
एक सायबान....
पिरियाई सरसों
के बिछौने पर
आसमानी दुपट्टे
को ओढ़
सो जाना तुम अपने
प्रेम की किताब को
रखकर सिरहाने....
कोई पंछी छेड़ देगा
सुरीली लोरी की तान....
बर्फीले पहाड़ों से
आएगी एक परी....
जादू की एक छड़ी के साथ....
श्रम सीकरों का ताप सोख
आंखों में भर देगी कोई एक
मधुर स्वप्न....
हारना मत तुम....
चलते रहना....
थाम कर उम्मीद का छोर....
अनुजा
04.02.14
एक दिन
बादल का एक छोर पकड़कर
वासन्ती फूलों की महक में लिपट...
धरती गायेगी
वसन्त का गीत....
सब दु:ख...
सारे भय...
सब आतंक...
सारी असफलताएं ......
सारा आक्रोश
पिघलकर बह जाएगा
सूरज के सोने के साथ....
ओढ़ लेंगी सब दिशाएं
गुलाबी बादलों की चूनर....
मौसम गायेगा
रंग के गीत....
और
तुम्हारे सर पर होगा
एक सायबान....
पिरियाई सरसों
के बिछौने पर
आसमानी दुपट्टे
को ओढ़
सो जाना तुम अपने
प्रेम की किताब को
रखकर सिरहाने....
कोई पंछी छेड़ देगा
सुरीली लोरी की तान....
बर्फीले पहाड़ों से
आएगी एक परी....
जादू की एक छड़ी के साथ....
श्रम सीकरों का ताप सोख
आंखों में भर देगी कोई एक
मधुर स्वप्न....
हारना मत तुम....
चलते रहना....
थाम कर उम्मीद का छोर....
अनुजा
04.02.14
बेहतरीन भाव।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 06/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
यथार्थ ....सुन्दर....
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहरे और सुन्दर भावो को रचना में सजाया है आपने.....
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का....।
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