गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012


आज की सुबह....
सुनहरी सुबह.....
सिंदूरी पूरब....
चांदी सा पच्छिम.....
डूबते हुए भी चमकते
हुलसते...
मुस्‍कराते चांद की सुबह.....
आसमानी आंचल पर
सिंदूरी रेखाओं के बीच
झिलमिलाते सितारों की टिमटिमाती रौशनियां....
सिंदूरी प्राची
सपनीले धनक के पच्छिम..
और
दो दिशाओं के बीच.....
दो पंछी
एक मैं.....
उम्‍मीदों की सुबह
और गर्वीले चमकीले अंत के साथ....।

अनुजा
02.10.12

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