हमसफ़र होता कोई तो बांट लेते दूरियां
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियां।।
मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुनगुनाती ये नज़र
किस तरह समझे मेरी कि़स्मत की नामंजूरियां।।
हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवां
जि़न्दगी का नाम है लाचारियां मजबूरियां।।
फिर किसी ने आज छेड़ा जि़क्र-ए-मंजि़ल इस तरह
दिल के दामन से लिपटने आ गयीं हैं दूरियां।।
http://www.youtube.com/watch?v=AYP4CHVRAXE
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियां।।
मुस्कुराते ख़्वाब चुनती गुनगुनाती ये नज़र
किस तरह समझे मेरी कि़स्मत की नामंजूरियां।।
हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवां
जि़न्दगी का नाम है लाचारियां मजबूरियां।।
फिर किसी ने आज छेड़ा जि़क्र-ए-मंजि़ल इस तरह
दिल के दामन से लिपटने आ गयीं हैं दूरियां।।
http://www.youtube.com/watch?v=AYP4CHVRAXE
हादसों की भीड़ है चलता हुआ ये कारवां
जवाब देंहटाएंजि़न्दगी का नाम है लाचारियां मजबूरियां।।
...वाह...बहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति..
कल 13/02/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
bahut sundar ..
जवाब देंहटाएंलाजवाब
जवाब देंहटाएं