(1)
बरसों बाद मिली एक स्त्री...
उसने चुना था....
घर......
पति....
बच्चे.....
और
एक हरियाली दुनिया....
और
छोड़ी थी उसने
इस संसार के लिए.....
अपनी सबसे खूबसूरत ख्वाहिश.....
और
अपने सबसे मीठे और सुरीले गले का साथ.....।
(2)
एक स्त्री रम गयी है
जि़न्दगी के उस सुहाने सफ़र में.....
जो उसने चुना था
अपने लिए...
ख़ुश है एक स्त्री
कि
वह जो चाहती थी
उसने
वो पाया....
खुश है एक स्त्री
कि
उसने अपने को खो कर
पाया है
एक सुन्दर घर....
प्यारे से बच्चे....
और
लंबा इंवेस्टमेंट प्लान....
पोते-पोतियों के साथ खेलने का.....।
खुश है एक स्त्री
कि
इसमें कहीं भी नहीं है टकराहट
उसके अस्तित्व की.....
नहीं है चुनौती कोई
अपनी अस्मिता को सहेज पाने की.....
खुश है एक स्त्री
कि
उसने वो पाया
जो
चुना था उसने अपने लिए.....।
अनुजा
22.09.13
बरसों बाद मिली एक स्त्री...
उसने चुना था....
घर......
पति....
बच्चे.....
और
एक हरियाली दुनिया....
और
छोड़ी थी उसने
इस संसार के लिए.....
अपनी सबसे खूबसूरत ख्वाहिश.....
और
अपने सबसे मीठे और सुरीले गले का साथ.....।
(2)
एक स्त्री रम गयी है
जि़न्दगी के उस सुहाने सफ़र में.....
जो उसने चुना था
अपने लिए...
ख़ुश है एक स्त्री
कि
वह जो चाहती थी
उसने
वो पाया....
खुश है एक स्त्री
कि
उसने अपने को खो कर
पाया है
एक सुन्दर घर....
प्यारे से बच्चे....
और
लंबा इंवेस्टमेंट प्लान....
पोते-पोतियों के साथ खेलने का.....।
खुश है एक स्त्री
कि
इसमें कहीं भी नहीं है टकराहट
उसके अस्तित्व की.....
नहीं है चुनौती कोई
अपनी अस्मिता को सहेज पाने की.....
खुश है एक स्त्री
कि
उसने वो पाया
जो
चुना था उसने अपने लिए.....।
अनुजा
22.09.13
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