कभी सोचो
उस
लड़की के बारे में
जि़न्दगी में
जिसकी आते हैं तमाम
संघर्ष
बाधाएं
ढेरों उलझनें...
अस्थायित्व की लड़खड़ाहट...
स्थायित्व के सारे
प्रयास
परिवार और समाज की बंदिशें....
पर
कभी नहीं दिखते
जिसे
विन्ध्य और सतपुड़ा के जंगल....
कनेर के
पीले खुश्बूदार रंग....
अपने सौन्दर्य के
सारे उत्ताप के साथ......।
नहीं होती
जो
वेरा, वनलता सेन सी...
नहीं होता कोई दांते...
नहीं आता
नीले आसमान का शोख नीलापन
जिसके पास रहता है
अनन्त शून्य ....
खालीपन.... ।
नहीं आता
जिसके पास
प्यार.........।
अनुजा
18.11.1999
-आलोक की कविताओं से गुज़रते हुए
उस
लड़की के बारे में
जि़न्दगी में
जिसकी आते हैं तमाम
संघर्ष
बाधाएं
ढेरों उलझनें...
अस्थायित्व की लड़खड़ाहट...
स्थायित्व के सारे
प्रयास
परिवार और समाज की बंदिशें....
पर
कभी नहीं दिखते
जिसे
विन्ध्य और सतपुड़ा के जंगल....
कनेर के
पीले खुश्बूदार रंग....
अपने सौन्दर्य के
सारे उत्ताप के साथ......।
नहीं होती
जो
वेरा, वनलता सेन सी...
नहीं होता कोई दांते...
नहीं आता
नीले आसमान का शोख नीलापन
जिसके पास रहता है
अनन्त शून्य ....
खालीपन.... ।
नहीं आता
जिसके पास
प्यार.........।
अनुजा
18.11.1999
-आलोक की कविताओं से गुज़रते हुए
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